PM Modi Poland Visit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को पोलैंड की राजधानी वारसा में नवानगर मेमोरियल का दौरा किया. जहां उन्होंने जाम साहब की स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की. ये स्मारक भारत और पोलैंड के बीच साझा इतिहास की याद दिलाता है. बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी दो दिवसीय यात्रा पर पोलैंड पहुंचने हैं. जहां सबसे पहले उनका भारतीय समुदाय ने जोरदार स्वागत किया. उसके बाद पीएम मोदी जाम साहब की स्मारक पहुंचे.
जामनगर के पूर्व महाराज समर्पित है स्मारक
बता दें कि यह स्मारक नवानगर (अब जामनगर) के पूर्व महाराजा, जाम साहेब दिग्विजयसिंहजी रणजीतसिंहजी को समर्पित है. साल 1942 में नवानगर के महाराजा ने शरणार्थी पोलिश (पोलैंड के) बच्चों के लिए जामनगर में पोलिश बाल शिविर की स्थापना की, जिन्हें द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान यूएसएसआर से बाहर कर दिया गया था. इससे पहले पोलैंड में भारतीय प्रवासियों के सदस्यों ने प्रधानमंत्री का स्वागत किया. बीते 45 वर्षों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की यह पहली पोलैंड यात्रा है.
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#WATCH | Prime Minister Narendra Modi lays a wreath at Jam Saheb of Nawanagar Memorial in Warsaw, Poland
— ANI (@ANI) August 21, 2024
The memorial is dedicated to Jam Saheb Digvijaysinhji Ranjitsinhji, a former Maharaja of Nawanagar (now Jamnagar). In 1942, the Maharaja established the Polish Children's… pic.twitter.com/JJnrx1soFQ
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने कहा कि पीएम मोदी गुड महाराजा स्क्वायर, मोंटे कैसिनो मेमोरियल और कोल्हापुर फैमिली मेमोरियल में भी श्रद्धांजलि देंगे. वह इन तीनों स्मारकों पर पुष्पांजलि अर्पित करने वाले पीएम मोदी पहले प्रधानमंत्री होंगे. उन्होंने बताया कि, "वह जल्द ही तीन स्मारकों का दौरा करेंगे, गुड महाराजा स्क्वायर, मोंटे कैसिनो मेमोरियल और कोल्हापुर परिवार के स्मारक पर श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे. इन स्मारकों के पीछे का इतिहास पोलैंड और भारत को एक बहुत ही विशेष तरीके से जोड़ता है. भारत और पोलैंड के लोग विशेष तरीके से बहुत ही करीब हैं"
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जाम साहब ने बचाई थी कई यहूदी बच्चों की जान
बता दें कि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, नवानगर (जो अब गुजरात में है) के महाराजा जाम साहब ने कई यहूदी बच्चों को पोलैंड से भारत लाकर न केवल उनकी जान बचाई बल्कि एक अभिभावक के रूप में उनकी देखभाल भी की. नवानगर के महाराजा ने अपना ग्रीष्मकालीन महल विस्थापित बच्चों के लिए खोल दिया.
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वारसा का 'गुड महाराजा स्क्वायर' जाम साहब दिग्विजयसिंहजी को श्रद्धांजलि देता है. लगभग 1,000 पोलिश बच्चों का एक समूह 1942 में साइबेरिया से भारत के लिए रवाना हुआ, जहां द्वितीय विश्व युद्ध के कारण हुई मृत्यु और विनाश के ये बच्चे बीच खो गए और अनाथ हो गए थे. उन बच्चों को 1939 में पोलैंड पर सोवियत आक्रमण के बाद स्थानांतरित कर दिया गया था. जाम साबह इन सभी बच्चों के संरक्षक बन गए. जब महाराजा इंपीरियल वॉर काउंसिल के सदस्य थे. उन्हें बच्चों की दुर्दशा के बारे में अवगत कराया गया. जिससे जाम साहब को चिंता हुई. उसके बाद उन्होंने राजधानी जामनगर से लगभग 25 किमी (15 मील) दूर बालाचडी में एक शिविर स्थापित किया.