पहले बांग्लादेश के प्रधानमंत्री शेख हसीना ने पद से इस्तीफा दिया और अपना देश छोड़कर भारत आ गईं. वहीं अब थाईलैंड के प्रधानमंत्री के साथ भी कुछ ऐसा ही होता हुआ नजर आ रहा है. आखिर बांग्लादेश के बाद अब थाईलैंड में सियासी हलचल देखने को मिल रही है. दरअसल थाईलैंड की संवैधानिक अदालत ने बुधवार को प्रधानमंत्री श्रेथा थाविसिन को पद से हटा दिया है. अदालत ने उनके खिलाफ एक नैतिकता के मामले में फैसला सुनाया है. इस फैसले के बाद से थाईलैंड में एक बार फिर सियासी भूचाल आ गया है.
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श्रेता को एक कैबिनेट सदस्य की नियुक्ति को लेकर दोषी ठहराया
जजों ने फैसला दिया कि श्रेथा थाविसिन ने अपने मंत्रिमंडल में एक अपराधी वकील को नियुक्त करके नियमों का उल्लंघन किया है. यह मामला थाईलैंड के पूर्व सत्तारूढ जुं द्वारा नियुक्त पूर्व सीनेटर के एक समूह द्वारा लाया गया था. इसे एक हफ्ते पहले अदालत ने मुख्य विपक्षी दल को भंग कर दिया था. अदालत के आदेश ने थाई राजनीति में हलचल मचा दी है. संवैधानिक न्यायालय ने श्रेता को एक कैबिनेट सदस्य की नियुक्ति को लेकर दोषी ठहराया. इसे अदालत के एक अधिकारी को रिश्वत देने के मामले में जेल की सजा हुई थी. अदालत ने श्रेता के खिलाफ पांच चार के बहुमत से फैसला दिया. संसद जब तक नए प्रधानमंत्री की नियुक्ति नहीं करती तब तक कैबिनेट कार्यवाहक आधार पर बनी रहेगी.
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2008 में अदालत की अवमानना के मामले में तब 6 महीने की जेल हुई
संसद को इस पद पर नियुक्ति के लिए कोई समय सीमा नहीं दी गई है. श्वेता ने अप्रैल में कैबिनेट फेर बदल में पिचर चु एन बान को प्रधानमंत्री कार्यालय के मंत्री के के रूप में नियुक्त किया था. पिचर को 2008 में अदालत की अवमानना के मामले में तब 6 महीने की जेल हुई थी. तब उन्होंने कथित तौर पर पूर्व प्रधानमंत्री थाकसिन शिनावात्रा से जुड़े एक मामले में एक न्यायाधीश को 20 लाख की रिश्वत देने की कोशिश की थी इस घटना पर जब विवाद फिर से शुरू हुआ तो नियुक्ति के कुछ हफ्ते बाद पचट ने पद से इस्तीफा दे दिया.