S Jaishankar US Visit: भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर अमेरिका दौरे पर हैं. वो अमेरिका में एक अलग ही अंदाज में दिखे हैं. उन्होंने अपने जवाबों से लोगों की बोलती बंद कर दी है. जयशंकर ने यूएस में ही अमेरिका को बड़ी नसीहत दी है. साथ ही उन्होंने चीन को लेकर ऐसी बात कही है कि हड़कंप मच गया है. उन्होंने ड्रैगन को चुभने वाला बयान दिया है. एस जयशंकर ने अमेरिका के थिंक टैंक कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस कार्यक्रम में ये बयान दिए हैं.
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जयशंकर ने अमेरिका को दी नसीहत
यूएस में अमेरिका को नसीहत देते हुए विदेश मंत्री जयशंकर ने एक सवाल के जवाब में अमेरिकियों से कहा कि जब भारत अपने आंतरिक मामलों पर उनकी टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करता है, तो उन्हें बुरा नहीं मानना चाहिए. उन्होंने कहा कि अगर आप दो देशों, दो सरकारों के स्तर पर देखें तो हमें लगता है कि यह महत्वपूर्ण है कि लोकतंत्र का परस्पर सम्मान होना.’
‘मुझे भी टिप्पणी करने का अधिकार’
जयशंकर ने आगे कहा, ‘ऐसा नहीं हो सकता कि एक लोकतंत्र को दूसरे पर टिप्पणी करने का अधिकार हो और यह वैश्विक स्तर पर लोकतंत्र को बढ़ावा देने का हिस्सा है, लेकिन जब दूसरे ऐसा करते हैं तो यह विदेशी हस्तक्षेप बन जाता है. विदेशी हस्तक्षेप विदेशी हस्तक्षेप है, चाहे वह कोई भी करे और कहीं भी हो. आपको टिप्पणी करने का पूरा अधिकार है, लेकिन मुझे आपकी टिप्पणी पर टिप्पणी करने का पूरा अधिकार है.’
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चीन को लेकर भी दिया बड़ा बयान
विदेश मंत्री जयशंकर यही नहीं रूके. जब उनसे चीन को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने ड्रैगन को चुभने वाली बात कह दी. उन्होंने कहा, ‘चीन के साथ हमारे अपने संबंधों की एक लंबी कहानी है, लेकिन संक्षेप में कहें तो सीमा पर शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए हमारे बीच समझौते हुए थे, चीन ने उन समझौतों का उल्लंघन किया है. चूंकि हमारी सेनाएं अग्रिम मोर्चे पर तैनात हैं, इसलिए तनाव पैदा हो रहा है. जब तक अग्रिम मोर्चे पर तैनातियों का समाधान नहीं हो जाता, तनाव जारी रहेगा.’
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‘तनाव का रिश्तों पर भी पड़ेगा असर’
विदेश मंत्री ने कहा कि, ‘अगर तनाव जारी रहता है तो इसका असर बाकी रिश्तों पर भी पड़ेगा. पिछले चार सालों से हमारे रिश्ते अच्छे नहीं रहे हैं. मंत्री से चीन के साथ तनाव और साथ ही भारत के साथ व्यापार संबंधों में चीन द्वारा हर देश को पीछे छोड़ने के बारे में पूछा गया. जब व्यापार की बात आती है, तो वैश्विक स्तर पर चीन की हिस्सेदारी वैश्विक विनिर्माण में लगभग 31-32 प्रतिशत है. ऐसा इसलिए हुआ है, क्योंकि कई दशकों से अंतरराष्ट्रीय व्यापार (जो मुख्य रूप से पश्चिमी नेतृत्व वाला है) ने आपसी लाभ के लिए चीन के साथ सहयोग करने का चयन किया है.’
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