Syria Civil War: सीरिया में गृह युद्ध चरम पर है. देश के राष्ट्रपति बशर अल असद ने सीरिया को छोड़ दिया है और वह किसी अज्ञात स्थान पर चले गए हैं. वहीं सीरिया की राजधानी दमिश्क पर अब विद्रोही गुटों ने कब्जा कर लिया है. इस बीच अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का बड़ा बयान सामने आया है. ट्रंप का कहना है कि सीरिया हमारा दोस्त नहीं है, इसलिए हमें इसमें नहीं पड़ना चाहिए. उन्होंने कहा कि ये हमारी लड़ाई नहीं है इसलिए अमेरिका को इसमें शामिल नहीं होना चाहिए.
सीरिया से नहीं हमारी दोस्ता- ट्रंप
अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ट्रंप ने सोशल मीडिया पर कहा, 'सीरिया में बहुत गड़बड़ी है, लेकिन वह हमारा दोस्त नहीं है. अमेरिका को इससे कोई मतलब नहीं. ये हमारी लड़ाई नहीं है. हमें इसमें शामिल नहीं होना चाहिए और इससे बाहर रहना चाहिए.' ट्रंप ने आगे कहा कि असद का सहयोगी रूस है, लेकिन वह इन दिनों यूक्रेन युद्ध में उलझा हुआ है. ऐसे में सीरिया में जो कुछ हो रहा है, उसमें रूस ज्यादा कुछ करने की स्थिति में नहीं है. उन्होंने कहा कि, 'रूस ने कई सालों तक सीरिया की रक्षा की. अगर रूस, सीरिया से निकल जाता है तो इससे रूस को ही फायदा होगा, क्योंकि सीरिया से उन्हें कुछ नहीं मिला है.'
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सीरिया में अमेरिकी सैनिक मौजूद
बता दें कि डोनाल्ड ट्रंप भले ही सीरिया युद्ध से अमेरिका को बाहर रखने की बात कर रहे हों लेकिन सीरिया में अभी भी अमेरिका के 900 सैनिक मौजूद हैं. डोनाल्ड ट्रंप अपने पहले कार्यकाल के दौरान भी सीरिया से अपने सैनिकों को निकालने की बात कह चुके हैं. ऐसे में राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद वह एक बार फिर से अपने सैनिकों को सीरिया से बाहर निकाल सकते हैं. हालांकि, रक्षा सलाहकारों का मानना है कि अमेरिका को ऐसा नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे जो खालीपन पैदा होगा, उसपर रूस और ईरान कब्जा कर सकता है.
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जानें क्यों अहम है सीरिया
ऐसा माना जाता है कि सीरिया में चल रहे गृह युद्ध का असर कारण पश्चिमी एशिया में अपना दबदबा कायम करन करने की राजनीति का हिस्सा है. क्योंकि सीरिया की सीमा इराक, तुर्किये, जॉर्डन, लेबनान और इजराइसल जैसे देशों से लगी हुई है, ऐसे में सीरिया के दबदले का मतलब है कि पश्चिम एशिया के अहम व्यापार मार्गों, ऊर्जा गलियारों तक उसकी पहुंच बढ़ जाएगी. जिससे पूरे पश्चिम एशिया पर दबाव डाला जा सकता है.
सीरिया से बशर अल असद सरकार के सत्ता से बेदख करने के बाद सबसे ज्यादा असर रूस पर होगा, क्योंकि पश्चिम एशिया में सीरिया ही एक ऐसा देश है जो रूस का सबसे भरोसेमंद साथी है. जबकि विद्रोही गुटों अमेरिका का समर्थन प्राप्त है. सीरिया में गृह युद्ध के चलते वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतें बढ़ सकती हैं. जिसका असर भारत में भी देखने को मिल सकता है.