Bangladesh Violence: बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हो रही हिंसा के बीच अब बांग्लादेश के सभी अल्पसंख्यक एक हो गए हैं. इस बीच शनिवार को अल्पसंख्यकों ने सड़क पर विरोध प्रदर्शन किया और हिंसा कर रहे छात्रों को अपनी ताकत का अहसास कराया. दरअसल, बांग्लादेश की राजधानी ढाका के साथ देश के दूसरे बड़े शहर चटगांव में अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों ने अपने खिलाफ हो रही हिंसा का विरोध किया और सड़कों पर प्रदर्शन किया. बता दें कि बांग्लादेश में शेख हसीना के इस्तीफे के बाद हिंसा शुरू हो गई. जिसमें बड़े पैमाने पर हिंदू और अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा देखने को मिली.
अंतरिम सरकार के नेता मोहम्मद यूनुस ने की भावुक अपील
इस सबके बीच बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के नेता मोहम्मद यूनुस ने देश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रही हिंसा पर नाराजगी जताई. उन्होंने इस हिंसा को घृणित करार दिया. मोहम्मद यूनुस ने आंदोलन कर रहे छात्रों से अल्पसंख्यक के खिलाफ हिंसा रोकने की अपील की. उन्होंने हिंदुओं, ईसाइयों और बौद्धों को बचाने की अपील करते हुए कहा कि, "क्या ये हमारे देश के लोग नहीं हैं? आपने देश बचाया तो क्या आप कुछ परिवारों को नहीं बचा सकते? आपको कहना चाहिए कि किसी को भी नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा. वे भी हमारे भाई हैं. हम साथ लड़े और साथ ही रहेंगे."
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सरकार गिरने के बाद शुरू हुई हिंसा
बता दें कि बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार गिरने के बाद देश में अल्पसंख्यकों और हिंदुओं के खिलाफ हिंसा शुरू हुई. इस दौरान देश के 52 जिलों में हिंसा की 205 घटनाएं दर्ज की गई. इन घटनाओं में सैकड़ों लोग घायल हुए जिनमें ज्यादातर अल्पसंख्य समुदाय के थे. इस दौरान प्रदर्शनकारी छात्रों ने कई घर और मकान तबाह कर दिए. यही नहीं उपद्रवियों ने कई हिंदू मंदिरों को भी निशाना बनाया. इस दौरान शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग के दो हिंदू नेताओं की भी हत्या कर दी गई है. इस बीच हिंदू समुदाय के लोग देश छोड़ने की फिराक में हैं.
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अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों ने किया प्रदर्शन
इस सबसे के बीच शनिवार को अल्पसंख्यक समुदाय के लोग भी राजधानी ढाका की सड़कों पर उतर आए. इस दौरान उन्होंने अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा करने वालों के पर जल्द और सख्त कार्रवाई करने की मांग की. इसके साथ ही अल्पसंख्यक समुदाय के प्रदर्शनकारियों ने संसद में 10 प्रतिशत सीटें अल्पसंख्यक समुदाय के लिए आरक्षित करने की मांग की. इसके अलावा अल्पसंख्यकों के लिए सुरक्षा कानून बनाने की भी मांग की गई. इस दौरान कई मुस्लिम और छात्रों भी अल्पसंख्यकों का समर्थन करते देखे गए.