US Presidential Election: अमेरिका में आज राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान होना है. अमेरिका में बैलेट पेपर से जरिए वोटिंग होती है. बैलेट पेपर कर कई भाषाओं का इस्तेमाल होता है. ऐसे में हम आपको बताने जा रहे हैं कि न्यूयॉर्क शहर में जिन बैलेट पेपर्स से मतदान होना है इनमें चार भाषाओं का इस्तेमाल किया गया है. जिसमें से एक भारतीय भाषा है.
दरअसल, न्यूयॉर्क शहर 200 से अधिक भाषाओं का मिश्रण है. क्योंकि न्यूयॉर्क में दुनियाभर के सभी देशों के लोग रहते हैं. हालांकि अमेरिकी का आधिकारिक भाषा अंग्रेजी है और यहां बैलेट पेपर पर अंग्रेजी भाषा के साथ-साथ अन्य भाषाओं का भी इस्तेमाल किया जाता है. न्यूयॉर्क में मतदान के लिए जिन बैलेट पेपर का इस्तेमाल किया जा रहा है उनमें बांग्ला भाषा भी नजर आएगी.
अमेरिका को मिलेगा 47वां राष्ट्रपति
बता दें कि अमेरिका में आज राष्ट्रपति पद के लिए मतदान होना है. जिससे देश को 47वां राष्ट्रपति मिलेगा. न्यूयॉर्क के लिए छापे गए मतपत्रों में बंगाली भाषा का होना भारत के लिए गर्व की बात है. क्योंकि यह समावेश न केवल अमेरिका में भारतीय संस्कृति का प्रतिनिधित्व करता है, बल्कि वहां भारतीयों के मूल्यों का भी प्रतीक है.
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बांग्ला के अलावा मतपत्रों पर छपी हैं ये भाषाएं
इस बार के अमेरिकी चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप और कमला हैरिस के बीच कड़ा मुकाबला माना जा रहा है. हालांकि अमेरिकी चुनाव में इस बार ट्रंप का दबदबा ज्यादा दिखाई दे रहा है. 2020 में हुए राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप को हार का सामना करना पड़ा था. बता दें कि न्यूयॉर्क में बैलेट पेपर पर जिन भाषाओं का इस्तेमाल किया गया है, उनमें बंगाली के अलावा चीनी, स्पेनिश, कोरियाई और अंग्रेजी शामिल है.
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एनवाईसी बोर्ड ऑफ इलेक्शन के कार्यकारी निदेशक माइकल जे रयान ने बताया कि, "हमें अंग्रेजी के अलावा चार अन्य भाषाओं: चीनी, स्पेनिश, कोरियाई और बंगाली को एशियाई भाषाओं के रूप में सेवा देने की आवश्यकता है." हालांकि अमेरिका में भारतीय आबादी के पैमाने को देखते हुए यह कोई बड़ा अंतर नहीं लग सकता है, लेकिन बंगाली मूल के टाइम्स स्क्वायर के सेल्स एजेंट सुभशेष जैसे लोगों के लिए, यह विकास जश्न का कारण है.
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कैसे किया गया बंगाली भाषा का चयन
कार्यकारी निदेशक माइकल जे रयान ने इस बारे में और विस्तार से बताया. उन्होंने कहा कि बंगाली का चयन कैसे किया गया, यह विकल्प कानूनी दृष्टिकोण या आवश्यकता के चलते किया गया है. उन्होंने कहा कि भाषा पहुंच से संबंधित एक मुकदमे ने भारत के विविध भाषाई परिदृश्य के कारण एशियाई भारतीय भाषा की आवश्यकता को रेखांकित किया. जिसके चलते इसकी जरूरत पड़ी. उसके बाद बंगाली भाषा को बैलेट पेपर के लिए चुना गया. इसके साथ ही बंगाली का विकल्प एक कानूनी आवश्यकता से भी सामने आया है.