भारतीय मूल के अमेरिकी व्यापारी कंडी श्रीनिवास रेड्डी अमेरिका में एक घोटाला केस में फंस गए हैं. उन पर एच-1बी वीजा लॉटरी सिस्टम में हेरफेर करने का आरोप है. आव्रजन घोटाले में कथित संलिप्तता के मामले में उनके खिलाफ अब जांच होगी. इस घोटाले से अमेरिका के आव्रजन सिस्टम की अखंडता के बारे में सवालिया निशान खड़े होते हैं.
ऐसे हेरफेर करता था रेड्डी
रेड्डी अमेरिका और भारत से जुड़े व्यापारी हैं. रेड्डी ने मल्टीपल रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया की मदद से एच-1बी वीजा लॉटरी सिस्टम में हेरफेर किया है. हेरफेर के लिए रेड्डी एक ही व्यक्ति के लिए अलग-अलग कंपनी के नाम से कई आवेदन जमा करता था, जिससे लॉटरी में नाम आने की संभावना बढ़ जाती थी. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट की मानें तो रेड्डी क्लाउड बिग डेटा टेक्नोलॉजीज एलएलसी और मशीन लर्निंग टेक्नोलॉजीज एलएलसी सहित कई संस्थाओं का नियंत्रण करता था. इन कंपनियों का नाम और पता समान ही था. कंपनियों ने हजारों प्रविष्टियां पेश की, जिससे सैंकड़ो एच-1बी वीजा मिले हैं. हेरफेर से ने सिर्फ लॉटरी सिस्टम प्रभावित हुई हैं बल्कि, नियमों का पालन करने वाली कंपनियों को भी नुसकान हुआ है.
रेड्डी की मदद से वीडा मिलना तय
ब्लूमबर्ग के अनुसार, 2020 से 2023 तक के डेटा को देखे तो समझ आएगा कि रेड्डी के उम्मीदवारों का लॉटरी जीतना लगभग तय होता था. उनकी कंपनियों को कुल 54 वीजा मिले है, जो दूसरे के मुकाबले कहीं अधिक है.
कांग्रेस पार्टी के नेता हैं रेड्डी
रेड्डी सिर्फ व्यापार तक सीमित नहीं है. रेड्डी राजनीति में भी पकड़ रखते हैं. आदिलाबाद विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस ने उन्हें मैदान में उतारा था. उन्होंने किसानों की मदद के लिए एक फाउंडेशन भी बनाया है. रेड्डी एक मीडिया कंपनी के मालिक भी हैं. एक इंटरव्यू में रेड्डी ने कहा था कि वे इन कंपनियों के मात्र पंजीकृत एजेंट हैं पर भारतीय चुनाव आयोग में दायर हलफनामे और यूएस व्यापार रजिस्ट्री दस्तावेजों सहित अन्य सबूतों से साफ होता है कि वे या फिर उनकी पत्नी इन संस्थाओं का मालिकाना अधिकार अपने पास रखते हैं.