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Israel Attack: इजरायल के लेबनान पर हमले से क्यों चिंतित पूरी दुनिया? UN ने दी बड़ी चेतावनी

Israel Attack: मध्य पूर्व में जारी इस युद्ध ने पूरी दुनिया को संकट में डाल दिया है. युद्ध की आग में कई और देश भी शामिल हो सकते हैं. यूएन इसे लेकर चिंता व्यक्त की है.  

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Mohit Saxena
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Israel Attack: मध्य पूर्व में जारी बड़े युद्ध ने पूरे विश्व को चिंता में डाल दिया है. इजरायल ने पहले हमास और अब हिजबुल्लाह को अपना निशाना बनाया हुआ है. कई विशेषज्ञों और नेताओं ने चेताया है ​कि अगर शांति स्थापित नहीं हुई तो कई और देश भी इस युद्ध में कूद सकते हैं. युद्ध की आग पूरे मध्यपूर्व को अपनी चपेट में सकती है. हालांकि ऐसे हालात में किसी तरह की उम्मीद नहीं की जा सकती है. 

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लेबनान में इजरायल के हवाई हमले कहर बरपा रहे हैं. हिजबुल्लाह के साथ संघर्ष में भी इजरायल वहीं भाषा बोल रहा है, जैसे कभी हमास के साथ बोलता था. हमास की तरह अब वह हिजबुल्लाह के खात्मे की ओर बढ़ रहा है.  हालांकि एक वर्ष के सैन्य ऑपरेशन में गाजा हमास को खत्म नहीं कर पाया है.

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21 दिनों के युद्धविराम की अपील की

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यहूदी राष्ट्र ने गुरुवार को इस बात से बिल्कुल इनकार कर दिया कि वह लेबनानी सशस्त्र समूह हिजबुल्लाह और लेबनानी राजनीतिक दलों के साथ युद्धविराम पर सहमत है. आपको बात दें कि अमेरिका और सहयोगी देशों ने 21 दिनों के युद्धविराम की अपील की. इससे पहले बुधवार को सुरक्षा परिषद की एक बैठक को संबोधित करते हुए  यूएन चीफ एंटोनियो गुटेरस ने भी इस संकट पर चिंता जताई है. उन्होंने कहा ​कि लेबनान में आफत मची हुई है. इजरायल और लेबनान को अलग करने वाली सीमा रेखा ब्लू लाइन पर गोलीबारी जारी है. इसकी तीव्रता में तेजी देखी गई है. यह संघर्ष कहीं बढ़ न जाए, इसे लेकर आपको पूरे भूभाग को समझना होगा. 

इजरायल और अरब देशों के रिश्ते एतिहासिक रूप से तनाव भरे रहे है. इसके कारण यह क्षेत्र कई युद्धों को झेल चुका है. यहूदी राष्ट्र हिजबुल्लाह और हमास के साथ उलझा है. इन दोनों को ईरान से समर्थन प्राप्त है. विशेषकर हिजबुल्लाह की स्थापना ईरान का अहम रोल रहा है. ऐसा कहा जाता है कि हिजबुल्लाह लेबनानी आर्मी से भी अधिक शक्तिशाली है और उसके पास आधुनिक हथियारों की कमी नहीं है. 

मिलिट्री एक्शन पर किसी तरह की प्रतिक्रिया सामने नहीं आई

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अभी तक ईरान की इजरायल के लेबनान में मिलिट्री एक्शन पर किसी तरह की प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है. इसकी वजह है कि ईरान की नवर्निवाचित राष्ट्रपति को पेजेशकियन को काफी नरम माना जा रहा है. मगर वे अब तक नरम रुख पर टिके हैं. यह देखने वाली बात होगा. मीडिया रिपोर्ट की मानें तो ईरान के कट्टरपंथी रूढ़िवादियों को यह समझौतावादी रुख पसंद नहीं आया है. अगर हिजबुल्लाह के खिलाफ इजरायल अपना अभियान तेज करता है तो ईरान को भी इस युद्ध में कूदना होगा. 

वहीं गृहयुद्ध में उलझे सीरिया में भी इस संकट की आहट दिखने लगी है. ऐसी रिपोर्ट है कि सीरिया-लेबनान बॉर्डर पर इजरायल ने हवाई हमला किया, इसमें करीब 8 लोग घायल हो चुके हैं. वैसे यहूदी राष्ट्र हमेशा से सीरिया में एयर स्ट्राइक को अंजाम देता है. उसका कहना है कि वह यह कार्रवाई हिज्जबुलाह के लिए करता है. अब लेबनान में संकट के बाद लोग बड़ी संख्या में सीरिया का रुख करेंगे. 

वहीं सऊदी क्राउन प्रिंस और प्रधानमंत्री मोहम्मद बिन सलमान अल का कहना है ​कि पूर्वी येरूशलेम राजधानी   वाले एक स्वतंत्र फिलिस्तीनी राज्य के गठन के बिना सऊदी अरब इजरायल के संग राजनयिक संबंध स्थापित नहीं कर सकेगा. प्रिंस का यह बयान इजरायल की सैन्य कार्रवाई को लेकर आया है. 

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