logo-image
लोकसभा चुनाव

Explainer: रसेल वाइपर स्नेक, जिसने बांग्लादेश में मचाया आतंक, जानिए- क्यों लगी मारने की होड़?

दुनियाभर में सांपों की करीब 3000 से प्रजाति के सांप पाए जाते हैं. लेकिन आज हम आपको एक ऐसे सांप की स्टोरी बता रहे हैं, जिसने पिछले 6 महीने के भीतर बांग्लादेश में ऐसा आतंक मचाया है कि लोगों में उसे मारने की होड़ सी लग गई है.

Updated on: 30 Jun 2024, 12:48 PM

New Delhi:

Russell Viper Snake Terror: दुनियाभर में सांपों की करीब 3000 से प्रजाति के सांप पाए जाते हैं. लेकिन आज हम आपको एक ऐसे सांप की स्टोरी बता रहे हैं, जिसने पिछले 6 महीने के भीतर बांग्लादेश में ऐसा आतंक मचाया है कि लोगों में उसे मारने की होड़ सी लग गई है. इस सांप का नाम रसेल वाइपर है. इस सांप को साक्षात काल कहें तो गलत नहीं होगा, क्योंकि इसका काटा हुआ पानी भी नहीं मांगता है. आइए जानते हैं कि बांग्लादेश में इस सांप को मारने की क्यों होड़ लगी हुई है.

बांग्लादेश में फिर लौटा रसेल वाइपर

एक दशक पहले तक बांग्लादेश के लोग इस सांप के खौफ से बेफ्रिक हो गए थे. 2002 में इसे बांग्लादेश सरकार ने विलुप्त घोषित कर दिया था. लेकिन अब ये फिर से लौट आया है. दावा है कि बांग्लादेश में शायद ही ऐसा कोई दिन हो जब रसेल वाइपर प्रजाति का ये जहरीला सांप लोगों को अपना शिकार ना बना रहा हो. अब तक ये माना जाता था कि रसेल वाइपर सिर्फ सूखे इलाकों में पाया जाता है, लेकिन अब ये नदी किनारे या दलदली इलाकों में भी लोगों की जान ले रहा है. 

रसेल वाइपर के काटने से 60% मौतें

जानकारी के मुताबिक के बांग्लादेश के करीब 25 जिलो में इसी सांप के काटने के सबसे ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं. बांग्लादेश में हर साल करीब 7000 लोग जहरीले सांप के काटने से मरते हैं, जिसमें से करीब 60 फीसदी से ज्यादा मौत रसेल वाइपर के काटने से होती है. मौत का ये आंकड़ा तब है जब बांग्लादेश में पाए जाने वाले 85 फीसदी से ज्यादा सांप जहरीले नहीं होते हैं. रसेल वाइपर दक्षिण एशिया में पाया जाने सांप है. बांग्लादेश के अलावा ये नेपाल, पाकिस्तान, श्रीलंका और भारत में भी पाया जाता है. भारत में इसे रसेल वाइपर के साथ चित्ती भी कहते हैं. जबकि बांग्लादेश में इसे चंद्रबोड़ा के नाम से जानते हैं.

बांग्लादेश में तो इसकी दहशत इतनी है कि तमाम अस्पतालों में इसका एंटीवेनम रखने का आदेश जारी कर दिया गया है. इसके अलावा फरीदपुर के एक नेता ने तो सार्वजनिक तौर पर एलान कर दिया था कि रसेल वाइपर सांपों को मारने वालों को प्रति सांप 50 हजार टका का इनाम दिया जाएगा. हालांकि बाद में इस ऐलान को वापस ले लिया गया. अब सवाल ये है कि बांग्लादेश में रसेल वाइपर से इतना डर क्यों है? तो इस डर की वजह है इस सांप से होने वाली मौतों का बढ़ता ग्राफ.

कैसे अटैक करता है रसेल वाइपर

जानकारों की मानें तो इस सांप की डील-डौल इसकी वजह से हो रही मौतों की सबसे बड़ी वजह है. क्योंकि ये सांप दिखने में काफी हद तक अजगर के जैसा मालूम पड़ता है. जो लोग सांपों के बारे में जानकारी नहीं रखते हैं. वो इसे पहली झलक में अजगर समझने की ही गलती कर बैठते हैं. अब चूंकि अजगर जहरीला नहीं होता है. लोग इसे अजगर मानकर इसके करीब चले जाते हैं या लापरवाही से इसे भगाने की कोशिश करते हैं. बस इसी दौरान ये हमला कर देता है. 

कितना खतरनाक है रसेल वाइपर स्नेक

स्नेक एक्सपर्ट्स के मुताबिक रसेल वाइपर दिखने में बेहद सुस्त नजर आता है. लेकिन जब ये शिकार करता है या इसे खुद के लिए खतरा महसूस होता है तो ये बहुत तेजी से हमला करता है. हमले के दौरान ये अपना होमोटॉक्सिन जहर सीधे इंसान के शरीर में उगल देता है. इसके जहर का असर सीधे इंसान की रक्त कोशिकाओं पर होता है. शरीर में जिस जगह ये काटता है, वहां सूजन होने लगती है जबकि इसका घातक असर शरीर के अंदर होता है, जो शुरुआत में दिखाई नहीं देता है.

जहर के असर से खून बड़ी तेजी से पतला होता है और जहां से भी रास्ता मिलता है वो बाहर की तरफ बहने लगता है. खून का थक्का ना जमने की वजह से नाक, मुंह, कान या यूरिन के रास्ते से खून बहने लगता है. इतना नहीं नहीं... अगर हाल-फिलहाल में कोई जख्म ठीक हुआ हो तो वो भी जहर के असर से फिर खुल जाता है और वहां से भी ब्लिडिंग होने लगती है. कहते हैं कि रसेल वाइपर एक बार काटने पर ही इतना जहर फेंक देता है कि इंसान की मौत हो जाए. हालांकि अगर वक्त पर होमोटॉक्सिन जहर का एंटीवेनम मिल जाए तो इसके काटे इंसान को बचाया भी जा सकता है. वरना इसके जहर से 30 मिनट के भीतर मौत हो सकती है.

मारे जा रहे दूसरे अन्य सांप

चिंता की बात ये है कि जानकारी के आभाव में रसेल वाइपर के करनी की कीमत दूसरे सांपों को भुगतनी पड़ रही है. ज़्यादातर लोगों को सांपों के बारे में जानकारी नहीं होती है. लिहाजा वो हर सांप को जहरीला और रसेल वाइपर जैसा घातक समझ लेते हैं. बताया जा रहा है कि बांग्लादेश में अब बड़े पैमाने पर शंखिनी, अजगर, घरगिन्नी, दाराज, ढोंढ़ा और गुईसांप जैसे सांपों को भी मारा जा रहा है जबकि बांग्लादेश में सांपों के काटने से जो मौत हो रही है. उसमें इन सांपों की कोई गलती नहीं है. ये सांप जहरीले नहीं होते हैं और पर्यावरण के लिए प्रकृति का तोहफा माने जाते हैं. ये कीट-पंतगों और चूहों को खाकर फसल को बर्बाद होने से बचाते हैं. 

रसेल वाइपर सांप को कैसे पहचानें

अगर पहचान की बात करें तो रसेल वाइपर पर भूरे और मटमैले रंग के चेक्‍स का डिजाइन बना होता है. इसका फन त्रिकोणीय शेप लिए होता है, जबकि इसके शरीर का बीच का हिस्सा बेहद मोटा होता है. इसकी गर्दन पूरे शरीर का सबसे पतला हिस्सा होती है. त्वचा की बात करें तो इसकी बनावट अक्सर खुरदरी होती है और ये खतरनाक सांप 5 फीट से ज़्यादा लंबा नहीं होता है. रसेल वाइपर को चूहे खाना बहुत पसंद है इसलिए यह अक्सर इंसानी बस्तियों के आसपास पाया जाता है.