logo-image
लोकसभा चुनाव

Chanakya Niti: दुश्मनों पर विजय पाने के लिए ध्यान रखें ये बातें, शत्रुओं की सारी चालें हो जाएंगी विफल 

Chanakya Niti: दुश्मनों से परेशान व्यक्ति को जीवन में बहुत संघर्ष करना पड़ता है. लेकिन, आप अगर ये चाहते हैं कि आप हमेशा शत्रुओं पर विजय हासिल करें तो आपको चाणक्य की इन बातों को गांठ बांध लेना चाहिए.

Updated on: 04 Jul 2024, 07:39 AM

नई दिल्ली:

Chanakya Niti: कौटिल्य या विष्णु गुप्त के नाम से भी प्रसिद्ध चाणक्य, एक प्रख्यात भारतीय राजनीतिज्ञ, अर्थशास्त्री और दार्शनिक थे. उन्होंने "अर्थशास्त्र" नामक ग्रंथ की रचना की, जो राजनीति, अर्थव्यवस्था और शासन के अलग-अलग पहलुओं पर आधारित है. दुश्मनों के बारे में चाणक्य ने कई महत्वपूर्ण बातें कही हैं, जो आज भी प्रासंगिक मानी जाती हैं. उनके विचार दुश्मनों से निपटने के व्यावहारिक और रणनीतिक तरीकों पर केंद्रित हैं. अगर आप अपने किसी शत्रु से बेहद परेशान हैं तो ये ज्ञान आपके बेहद काम आने वाला है. दुश्मनों के साथ क्या करना चाहिए और उन्हें पराजित करने का सबसे आसान और सटीक तरीका क्या है आइए जानते हैं. 

चाणक्य नीति के अनुसार, हर व्यक्ति को बुरी आदतों जैसे नशे की लत से दूर रहना चाहिए. जिन लोगों को नशे की लत होती है, ऐसे लोग शत्रु द्वारा आसानी से पराजित कर दिए जाते हैं. नशे में व्यक्ति अपने बुद्धि और विवेक का सही इस्तेमाल नहीं कर पाता और ऐसे में वह गलती कर बैठता है, जिसका लाभ शत्रु उठा सकता है. आपके पास जितनी भी बुरी आदतें हैं, उन्हें छोड़ दें, नहीं तो आपको इसके चलते 1 दिन पराजित होना पड़ सकता है. नशे की आदतें व्यक्ति की सोचने समझने की क्षमता को कमजोर कर देती है और यह कमजोरी शत्रु को आपकी हार का अवसर प्रदान करती है. इसलिए सदैव अपने आप को बुरी आदतों से दूर रखें और स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं. 

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि शत्रु को कभी भी कम नहीं आंखना चाहिए. दुश्मन की ताकत का सही आकलन आपकी जीत को सुनिश्चित कर देता है. शत्रु को अगर कमजोर समझेंगे तो वह आपकी हर कमजोरी पर वार करने की कोशिश करेगा. इसके अलावा. समझदार व्यक्ति अपनी महत्वपूर्ण योजनाओं को सभी के साथ कभी भी साझा नहीं करते. जब योजना पूर्ण हो जाए तभी उसे बताएं. अगर आप पहले से सब कुछ बताएंगे तो शत्रु इसका फायदा उठा सकता है. इसलिए अपने सीक्रेट किसी के भी साथ शेयर नहीं करने चाहिए. आपके लक्ष्य और योजनाएं आपके ही पास सुरक्षित रहनी चाहिए. क्योंकि शत्रु आपकी हर चाल का लाभ उठाने की फिराक में रहता है. 

अगर शत्रु आपसे ज्यादा शक्तिशाली है तो यह अधिक खतरनाक होता है. ऐसे शत्रु से निपटने के लिए आपको छिपकर उसे पराजित करने की योजना बनानी चाहिए. अदृश्य शत्रु यानि जो आपके सामने मित्र के समान व्यवहार करता है और आपकी पीठ के पीछे चुग्ली करता है, उससे सतर्क रहना चाहिए. ऐसे लोगों से जितना हो सके उतना दूर. दूर रहना चाहिए और छिपकर उसकी असली चेहरा का पता लगाना चाहिए. इसलिए आचार्य चाणक्य जी कहते हैं कि अपने सीक्रेट किसी के साथ शेयर ना करें क्योंकि आपके करीब दोस्त भी आपका शत्रु हो सकते हैं. 

मनुष्य के अंदर अगर अहम की भावना आ जाती है तो इसका अर्थ है कि वह व्यक्ति अपने से ऊपर किसी को नहीं समझता. अहम या अहंकार शत्रुओं की संख्या में वृद्धि करता है. इसलिए जितना हो सके अपने अंदर कभी भी अहंकार की भावना ना आने दें. रावण सबसे बड़ा अहंकारी था और सबसे शक्तिशाली भी, लेकिन उसके अहंकार के कारण ही उसकी मृत्यु हुई. इसलिए व्यक्ति को कभी भी अहंकार नहीं करना चाहिए. यह एक ऐसी चीज़ है जो व्यक्ति का सब कुछ नाश कर देती है. 

आचार्य चाणक्य जी के अनुसार अगर कोई आपका अपमान करे तो अपना गुस्सा ज़ाहिर न होने दें बल्कि मौन धारण करें. जो व्यक्ति मौन रहकर रणनीति बनाता है उसके बारे में जान पाना किसी के लिए भी असंभव होता है. स्वयं आचार्य चाणक्य जी ने भी यही नीति अपनाई थी. नन्द महाराजा के द्वारा अपमानित होने पर भी वह मौन ही रहे थे और उन्होंने नन्द को बेदखल करने की चुपचाप तरीके से रणनीति तैयार की. आखिरकार साधारण से बालक चंद्रगुप्त को सम्राट बना दिया. इसलिए गुस्से में व्यक्ति को सोच समझकर ही कार्य करना चाहिए.

Religion की ऐसी और खबरें पढ़ने के लिए आप न्यूज़ नेशन के धर्म-कर्म सेक्शन के साथ ऐसे ही जुड़े रहिए.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)